Saturday, 21 September 2019

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Sunday, 15 September 2019

हौसले को सलाम: गले तक पानी में तैरकर बच्चों को पढ़ाने स्कूल जाती है ये टीचर



 ओड़िशा की बिनोदिनी सामल पेशे से अध्यापक हैं और वह रोज बच्चों को पढ़ाने स्कूल जाती हैं। लेकिन घर से निकलने के बाद स्कूल तक का सफर जिस तरह पूरा करती हैं, वह उनकी हिम्मत और अपने पेशे के प्रति जुड़ाव की कहानी कहता है। 49 साल की बिनोदिनी सामल ढेकनाल जिले के राठीपाला प्राइमरी स्कूल में पढ़ाती हैं। पिछले 11 सालों से स्कूल में पढ़ा रहीं बिनोदिनी ने शायद ही कभी छुट्टी ली हो।


Viral teacher
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स्कूल पहुंचने के लिए नदी पार करती हैं बिनोदिनी सामल

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिनोदिनी सामल स्कूल पहुंचने के लिए नदी पार करती हैं, वह भी गर्दन तक पानी में उतरकर। सापुआ नदी में बारिश के दिनों में पानी बढ़ जाता है। इस नदी को पार करने के लिए कोई पुल नहीं है। बरसों पहले 40 मीटर का एक पुल बनाने की बात हुई थी लेकिन अभी तक ये अस्तित्व में नहीं आया। बिनोदिनी गणशिक्षक के तौर पर साल 2008 से पढ़ा रही हैं- उन हजारों शिक्षकों की तरह, जिन्हें 2000 के शुरुआती दिनों में जन शिक्षा विभाग द्वारा नियुक्त किया गया था


Odisha flood
Udisha flood



11 साल से पढ़ा रही हैं बिनोदिनी सामल

एक शिक्षिका होने के साथ-साथ बिनोदिनी सामल को स्कूल पहुंचने के लिए तैराक की भूमिका भी निभानी पड़ती है। दरअसल, मॉनसून के दिनों में उन्हें स्कूल पहुंचने के लिए सपुआ नदी को पार करना होता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनकी सैलरी 1700 रु थी जो अब 27000 होने जा रही है। कुछ दिनों पहले, उनकी एक तस्वीर फेसबुक पर वायरल हुई थी, जिसमें वह गर्दन तक पानी में उतरकर नदी पार कर रही थीं। वे कहती हैं,'मेरे लिए मेरा काम किसी भी चीज से ज्यादा महत्वपूर्ण है। मैं घर पर बैठकर क्या करूंगी।'

Udisha flood viral teacher
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राठीपाल स्कूल में 53 बच्चों को पढ़ाती हैं


बिनोदिनी सामल राठीपाल स्कूल में 53 बच्चों को पढ़ाती हैं। ये स्कूल उनके घर से तीन किलोमीटर दूर हिंडोल ब्लॉक के जरीपाल गांव में है। हर दिन बिनोदिनी और स्कूल की प्रिंसिपल काननबाला मिश्रा सपुआ से होकर स्कूल पहुंचते हैं। हालांकि, ये नदी गर्मी के दिनों में ज्यादातर समय सूखी ही रहती है। जबकि मॉनसून के वक्त इसमें पानी बढ़ जाता है। बहुत कम ही ऐसा होता है कि बिनोदिनी छुट्टी लेती हैं। वे बताती हैं कि एक जोड़ी कपड़े स्कूल की आलमारी में रखती हैं ताकि नदी पार करके जाने के बाद गीले कपड़ों को बदल सकें। बिनोदिनी एक से 3 कक्षा के बच्चों को पढ़ाती हैं


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