Wednesday, 6 March 2019

क्या हुआ था जब औरंगजेब अजमेर शरीफ दरगाह गए ?

करामात खुवाज़ा गरीब नवाज की औरंगजेब की ज़िद को पूरा करना कहानी औलिया अल्लाह की 

क्या हुआ था जब औरंगजेब अजमेर शरीफ दरगाह गए ?
aurangzeb  khwaja ke darbar mein

अस्सलामु अलैकुम दोस्तो आज में आपको खुवाज़ा गरीब नवाज़ मज़ार और औरंगजेब की कहानी बताता हूँ पूरा जाने के लिए आखरी तक जरूर पढ़े

बादशाह औरंगजेब को वलियों के मुतालिक गलतफहमी थी
के अल्लाह का कोई भी वाली मरने के बाद मजार में जिंदा नहीं रहता है
अपने इसी वहम  को दूर करने के लिए एक बार बादशाह औरंगजेब गरीब नवाज़ रहमतुल्लाहअलैह की मज़ार की ज़्यारत के लिए अजमेर आया अजमेर पहुंचकर औरंगजेब ने कहा की  मानता हूं कि ख्वाजा गरीब नवाज रहमतुल्लाह अलेह अल्लाह के वली मगर मैं जब मजार  पर मैं उनको सलाम पेश करूं तो मुझे जवाब मिलना चाहिए वरना मैं मज़ार को तोड़ दूंगा बादशाह औरंगजेब जब मज़ार पर पहुंचा तो वहां एक अंधा  शख्स बैठे इंतजार कर रहा था
बादशाह औरंगजेब ने पूछा ऐ सख्स क्या मामला है तो उस
सख्स ने फरमाया मैंआँखों से अंधा हूँ मै बहुत अरसे से खुवाज़ा के वसीले से दुआ कररहा हूँ की मेरे आंखो की बिनाई आजाये मतलब रोशनी मिल जाये लेकिन कोई फायदा नही हुवा तब औरंगजेब ने उससे कहा की मैं मज़ार में सलाम पेश करने  के लिये जारहा हूँ
क्या हुआ था जब औरंगजेब अजमेर शरीफ दरगाह गए ?
Aurangzeb in ajmer
और जब मैं वापस अऊ अगर तब तक तुझे आँखों की रोशनी नही मिली तो मै तलवार से तेरी गर्दन काट दूंगा
 तो अंधा शख्स परेशान हो गया की अब तक तो आंखों में बन आई थी अब तो आंखों साथ साथ जान पर भी बन आयी  है तो फिर उसने अब और जोर से तड़प कर खुवाज़ा गरीब नवाज  के वसीले दुआ की
 जब औरंगजेब ने ख्वाजा गरीब नवाज को सलाम पेश किया तो जवाब नही  मिला  दुबारा सलाम पेश किया तो भी जवाब नहीं मिला तीसरी बार सलाम किया तो मजार के अंदर से सलाम का  जवाब मिला  फिर ख्वाजा गरीब नवाज ने कहा कि औरंगजेब आइंदा से फिर ऐसी कभी जिद मत करना  तुम्हारी जिद की वजह से मैं उस अंधे सख्श की रोशनी लाने के लिए अर्श ईलाही पे गया था
 और इसीलिए सलाम का जवाब देने में थोड़ी देर हो गई
  माशा अल्लाह ख्वाजा की इसी  अज़ीमो  शान के बाद बादशा औरंगजेब  रहमतुल्लाह आले अल्लाह के एक बहुत  बड़ा वली बना और फ़तवाई आलम ग्रि जो के इस्लाम के  मुतालिक फतवे देती है एक ऐसी किताब एक ऐसा कानून इस्लाम के लिए बनाया

   होके मायूस तेरे दर से सवाली न गया
   भर गई झोलियां सबकी कोई खाली न गया
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क्या हुआ था जब औरंगजेब अजमेर शरीफ दरगाह गए ?
Aurangzeb darbar in ajmer

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