करामात खुवाज़ा गरीब नवाज की औरंगजेब की ज़िद को पूरा करना कहानी औलिया अल्लाह की
aurangzeb khwaja ke darbar mein |
अस्सलामु अलैकुम दोस्तो आज में आपको खुवाज़ा गरीब नवाज़ मज़ार और औरंगजेब की कहानी बताता हूँ पूरा जाने के लिए आखरी तक जरूर पढ़े
बादशाह औरंगजेब को वलियों के मुतालिक गलतफहमी थी
के अल्लाह का कोई भी वाली मरने के बाद मजार में जिंदा नहीं रहता है
अपने इसी वहम को दूर करने के लिए एक बार बादशाह औरंगजेब गरीब नवाज़ रहमतुल्लाहअलैह की मज़ार की ज़्यारत के लिए अजमेर आया अजमेर पहुंचकर औरंगजेब ने कहा की मानता हूं कि ख्वाजा गरीब नवाज रहमतुल्लाह अलेह अल्लाह के वली मगर मैं जब मजार पर मैं उनको सलाम पेश करूं तो मुझे जवाब मिलना चाहिए वरना मैं मज़ार को तोड़ दूंगा बादशाह औरंगजेब जब मज़ार पर पहुंचा तो वहां एक अंधा शख्स बैठे इंतजार कर रहा था
बादशाह औरंगजेब ने पूछा ऐ सख्स क्या मामला है तो उस
सख्स ने फरमाया मैंआँखों से अंधा हूँ मै बहुत अरसे से खुवाज़ा के वसीले से दुआ कररहा हूँ की मेरे आंखो की बिनाई आजाये मतलब रोशनी मिल जाये लेकिन कोई फायदा नही हुवा तब औरंगजेब ने उससे कहा की मैं मज़ार में सलाम पेश करने के लिये जारहा हूँ
Aurangzeb in ajmer |
तो अंधा शख्स परेशान हो गया की अब तक तो आंखों में बन आई थी अब तो आंखों साथ साथ जान पर भी बन आयी है तो फिर उसने अब और जोर से तड़प कर खुवाज़ा गरीब नवाज के वसीले दुआ की
जब औरंगजेब ने ख्वाजा गरीब नवाज को सलाम पेश किया तो जवाब नही मिला दुबारा सलाम पेश किया तो भी जवाब नहीं मिला तीसरी बार सलाम किया तो मजार के अंदर से सलाम का जवाब मिला फिर ख्वाजा गरीब नवाज ने कहा कि औरंगजेब आइंदा से फिर ऐसी कभी जिद मत करना तुम्हारी जिद की वजह से मैं उस अंधे सख्श की रोशनी लाने के लिए अर्श ईलाही पे गया था
और इसीलिए सलाम का जवाब देने में थोड़ी देर हो गई
माशा अल्लाह ख्वाजा की इसी अज़ीमो शान के बाद बादशा औरंगजेब रहमतुल्लाह आले अल्लाह के एक बहुत बड़ा वली बना और फ़तवाई आलम ग्रि जो के इस्लाम के मुतालिक फतवे देती है एक ऐसी किताब एक ऐसा कानून इस्लाम के लिए बनाया
होके मायूस तेरे दर से सवाली न गया
भर गई झोलियां सबकी कोई खाली न गया
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Aurangzeb darbar in ajmer |
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