रांची का मारवाड़ी कॉलेज. ग्रेजुएशन सेरेमनी. तारीख़ 15 सितंबर. वक्त- दोपकर के करीब 12 बज रहे थे. सेरेमनी में डिग्री लेने आई ओवर ऑल बेस्ट ग्रेजुएट निशत फातिमा समारोह में डिग्री नहीं ले सकी. क्यों? क्योंकि वह बुर्के में आई थी.
गोल्ड मेडल के लिए निशत का नाम सबसे पहले पुकारा गया. वह बुर्के में थी इसलिए उसे स्टेज पर जाने से रोक दिया गया और मंच से कहा गया कि निशत कॉलेज द्वारा तय ड्रेस कोड में नहीं हैं इसलिए उन्हें समारोह में डिग्री नहीं दी जाएगी. इसके बाद वह अपने सीट पर जाकर बैठ गई. इसक बाद दूसरे टॉपर्स को डिग्री दी गई. निशत पाकुड़ से रांची (करीब 360 किलोमीटर) की दूरी तय करके डिग्री लेने पहुंची थी लेकिन उसे खाली हाथ लौटना पड़ा.
कॉलेज ने पहले ही सेरेमेनी के लिए ड्रेस कोड तय किया था और इसके लिए नोटिस जारी किया गया था. लड़कों को सफेद रंग का कुर्ता पायजामा और छात्राओं को सलवार-सूट, दुपट्टा या साड़ी ब्लाउज में आना था. सभी छात्रों को इस ड्रेस कोड के बारे में पहले ही बता दिया गया था.
निशत के पिता मोहम्मद इमरामुल ने डिग्री नहीं दिए जाने को लेकर कहा कि निशत बिना बुर्का के कहीं नहीं जाती है. बुर्का हमारी परंपरा में शामिल है. इसलिए उसने पर्दा के लिहाज से बुर्का नहीं उतारा. बेटी को मारवाड़ी कॉलेज ले जाकर गोल्ड मेडल और डिग्री ले लेंगे.
गोल्ड मेडल के लिए निशत का नाम सबसे पहले पुकारा गया. वह बुर्के में थी इसलिए उसे स्टेज पर जाने से रोक दिया गया और मंच से कहा गया कि निशत कॉलेज द्वारा तय ड्रेस कोड में नहीं हैं इसलिए उन्हें समारोह में डिग्री नहीं दी जाएगी. इसके बाद वह अपने सीट पर जाकर बैठ गई. इसक बाद दूसरे टॉपर्स को डिग्री दी गई. निशत पाकुड़ से रांची (करीब 360 किलोमीटर) की दूरी तय करके डिग्री लेने पहुंची थी लेकिन उसे खाली हाथ लौटना पड़ा.
कॉलेज ने पहले ही सेरेमेनी के लिए ड्रेस कोड तय किया था और इसके लिए नोटिस जारी किया गया था. लड़कों को सफेद रंग का कुर्ता पायजामा और छात्राओं को सलवार-सूट, दुपट्टा या साड़ी ब्लाउज में आना था. सभी छात्रों को इस ड्रेस कोड के बारे में पहले ही बता दिया गया था.
निशत के पिता मोहम्मद इमरामुल ने डिग्री नहीं दिए जाने को लेकर कहा कि निशत बिना बुर्का के कहीं नहीं जाती है. बुर्का हमारी परंपरा में शामिल है. इसलिए उसने पर्दा के लिहाज से बुर्का नहीं उतारा. बेटी को मारवाड़ी कॉलेज ले जाकर गोल्ड मेडल और डिग्री ले लेंगे.
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